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राज्य की लगभग डेढ़ दर्जन जेलों मे अचानक छापेमारी के दौरान बरामद हुई ये चीजें हिल गया पूरा प्रसाशन ,चूक कहें या कारागार की मिलीभगत?

NEWS / THE POLICE TODAY

अपराधियों को सजा देने के लिए जेलों मे भेजा जाता है जहां उन पर कड़ी नजर रखी जाती है,लेकिन कड़ी निगरानी के बाड़ भी अगर कोई सजायाफ्ता कैदी जेल से रहकर भी अपराधों को अंजाम दे रहा है तो कारागार पुलिस पर सवाल खडे होना लाजमी है,या तो इसे कारागार की लापरवाही कहेँगे या फिर अपराधियों के साथ मिली भगत राज्य के इन कारागारों मे अवैध गतिविधियाँ रोकने के लिए पुलिस द्वारा कई कारागारों मे अचानक छापेमारी की गई,अधिकारी द्वारा छापेमारी इस लिए भी की गई कि जिस से यह भी पता लगाया जा सके कि कैदियों को कानून के तहत सुविधाएं मिल रही हैं या नहीं? लेकिन ज़ब अचानक छापेमारी की गई तो मामला कुछ ओर ही सामने आ गया,इस दौरान बैरकों मे स्मार्टफोन बरामद होने लगे

गुजरात के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) विकास सहाय ने बताया कि शुक्रवार रात से शुरू हुए इस अभियान में अधिकारियों समेत करीब 1,700 पुलिसकर्मी शामिल हैं। छापेमारी अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, राजकोट और अन्य शहरों की केंद्रीय जेलों के साथ-साथ उपजेलों में भी की जा रही है।
इन छापों का मकसद यह पता लगाना है कि जेलों से कोई अवैध गतिविधि तो संचालित नहीं की जा रही है,इस अभियान में खोजी कुत्तों को भी शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि अभियान का अन्य उद्देश्य यह पता लगाना भी है कि कैदियों को कानून के तहत उचित सुविधाएं मिल रही हैं या नहीं?

अभियान में शामिल पुलिसकर्मी कैमरों से लैस हैं और इस पूरी प्रक्रिया का सीधा प्रसारण गांधीनगर में राज्य पुलिस नियंत्रण केंद्र में किया जा रहा है, जहां गृह राज्यमंत्री हर्ष सांघवी, डीजीपी सहाय और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। सहाय ने कहा कि कार्रवाई के दौरान पुलिस ने कैदियों और जेल अधिकारियों से बातचीत की।

उन्होंने कहा कि छापे के कुछ घंटों के दौरान जेल की बैरकों से स्मार्टफोन बरामद किए गए।पारदर्शिता सुनिश्चित रहे इसलिए पुलिस अधिकारी कैमरों से लैस हैं। बता दें की अहमदाबाद की साबरमती जेल में भी छापेमारी की गई है, जहां उत्तरप्रदेश का कथित गैंगस्टर अतीक अहमद और अहमदाबाद बम विस्फोट मामले के कई दोषी बंद हैं।

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